खून से रिश्ता बनता आया
क्यों भावनाओ से न सम्बन्ध बने ?
धर्म बनता कर्म है आया
क्यों कर्मो से न धर्म बने ?
माता से बने है भाई मगर
इन जानो में क्यों न भाई बने ?
मैं चाहता हूँ ....
तोड़ दो सारी कुरीतियाँ
बनाना है तुम्हे कुछ नया
करो तुम वो जो "तुम " ने कहा
सुनो न किसने क्या है कहा ,
मानवता से प्रेरित हो भाव सभी
न मूल्य रहें कु-धर्मो का कोई
मानव की श्रष्टि बना डालो
तो फिर जाग सके दुनिया सोयी ................
क्यों रिश्तो से न खून बने ?
सम्बन्ध ही जन्मे भावना क्यों भावनाओ से न सम्बन्ध बने ?
धर्म बनता कर्म है आया
क्यों कर्मो से न धर्म बने ?
माता से बने है भाई मगर
इन जानो में क्यों न भाई बने ?
मैं चाहता हूँ ....
तोड़ दो सारी कुरीतियाँ
बनाना है तुम्हे कुछ नया
करो तुम वो जो "तुम " ने कहा
सुनो न किसने क्या है कहा ,
मानवता से प्रेरित हो भाव सभी
न मूल्य रहें कु-धर्मो का कोई
मानव की श्रष्टि बना डालो
तो फिर जाग सके दुनिया सोयी ................
मानवता से प्रेरित हो भाव सभी
जवाब देंहटाएंन मूल्य रहें कु-धर्मो का कोई
मानव की श्रष्टि बना डालो
तो फिर जाग सके दुनिया सोयी ................
बहुत सुंदर .....सार्थक भाव लिए पंक्तियाँ
धन्यवाद डॉ मोनिका....आपके शब्दों का आभारी हू.
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