सोमवार, 1 अगस्त 2011

" जीवन है एक धुप्प अँधेरा "

जीवन है एक धुप्प अँधेरा 
होता जिसका नहीं सवेरा 
हम सब है बस ओस की बूंदे 
इस जीवन के कोहरे में ,

भाग रहे है इधर उधर 
लड़ते एक दूसरे से  
मानो सभी ख़ोज रहे हो 
छुटकारा इस जीवन से ,

आँखे फाड़े देख रहे है 
क्या रखा है सम्मुख में 
फिर भी हम अनजान ही रहे 
इस प्यारे झूठे जीवन से ,

क्या सुख है और क्या दुःख है ?
है सुब कुछ हमसे परिभाषित 
जीवन बस फल है कुकर्मो का 
न की  खुशी असीमित , 

म्रत्यु हो गयी मानो मेरी 
इस जीवन को पा कर के 
रिश्ते-नाते प्रेम-घ्रणा के 
मोह्पास में फस कर के ,

जीवन तो पर्याय है दुःख का 
म्रत्यु अर्थ है सुख का 
जीवन के हर क्षण  से अच्छा 
होगा अंतिम पल इस जीवन का .....................................
 

 




6 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन तो पर्याय है दुःख का
    म्रत्यु अर्थ है सुख का
    जीवन के हर क्षण से अच्छा
    होगा अंतिम पल इस जीवन का .....................................
    specially these lines are highly appriciable

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  3. जीवन की डगर ऐसे ही चलती है ... अंत सुखदायक है फिर भी लोग डरते हैं मौत से

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  4. इस जीवन को पा कर के
    रिश्ते-नाते प्रेम-घ्रणा के
    मोह्पास में फस कर के ,
    ..मोहपाश तो तो है लेकिन जीवन जीना भी एक कला है ... बहुत बार हम मायूस जरुर होते है लेकिन जीवन मिलना इतना आसान काम भी तो नहीं..
    अँधेरे उजाले के बीच यूँ ही झूलती है जिंदगी ..
    बढ़िया प्रस्तुति

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